Nathu Singh Rathore ek Shooter

मेरा नाम नाथू सिंह राठौड़ गांव केलवा कला, कि राजस्थान  राज्य के जोधपुर जिले की बावड़ी तहसील में हैं मैं भारतीय राइफल शूटिंग टीम में रह चुका हूँ।






(यह वीडियो श्री मान नाथू सिंह राठौड़ गांव केलावा कला,तहसील बावड़ी, जिला जोधपुर ,राजस्थान का हैं)



    मैन कभी बचपन मे कल्पना नही की थी कि मैं एक दिन भारतीय राइफल शूटिंग टीम का हिस्सा बनूँगा और देश के लिए राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पदक जीतूंगा।
मेरा बचपन काफी संघर्ष पूर्ण रहा। बचपन मैं जब मेरे पिता खत्म हुए तब मैं 3 वर्ष का था। और घर का जिम्मा मेरी पूजनीय माता जी पर आ गया। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था और मेरी माता जी का देहांत भी जब मैं 13 वर्ष का था तब हो गया। हम दो भाई थे। जो कि मेरा छोटा भाई भी माताजी के देहांत के 10-12 दिन बाद इस दुनिया से रुक्सत हो गया।
न जाने कुदरत मुझे किस जन्म की सज्जा दी। 13 की अवस्था मे परिवार चला गया और इस दुनिया मे मैं अकेला रह गया। मै अंदर ही अंदर टूट गया। मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि मेरा अगला जीवन कैसे चलेगा। लेकिन कहते हैं कि ऊपर वाला एक तरफ का रास्ता जब बंद करता हैं तो दूसरी तरफ का रास्ता खोल देता हैं। आगे क्या होने वाला था मुझे पता नही। गांव के और रिस्तेदार सभी यही कह रहे थे कि अब इस बालक का क्या होगा।
मेरे कुछ रिस्तेदारो ने मुझे पालने और संभालने ले जाना चाहते थे। लेकिन मेरे गांव के तंवर राजपूत ठाकुर बाघ सिंह जी जो कि मेरे लिए आज प्रातः वंदनीय और देव तुल्य हैं। वैसी ही ठाकुर साहब की धर्म पत्नी । जब ठाकुर साहब को पता चला। कि अब इन बच्चे को रिस्तेदार लेजाएँगे तो उन्होंने कहा मैं बच्चे को किसी के साथ नही भेजूंगा। मै इस बच्चे को पालूंगा। तब मेरे रिस्तेदारो ने कहा कि आपको तो बड़ा होने पर नॉकर मिलजाएगा। टैब ठाकुर साहब श्री बाग सिंह जी ने कहा। कि इस लड़के को मैं अपने बेटे की तरह पालूंगा। वैसे भी ठाकुर साहब के कोई संतान केवल एक लड़की थी।
 ठाकुर साहब ने मुझे गढ़ में बुलाया और ठकुरानी को सौंपते हुए कहा कि यह आज से यही रहेगा और नॉकर बनकर नही बेटा बनकर।
 यह से मेरे दूसरे जन्म की सुरवात होती हैं। जो कि एक राइफल शूटर के रूप में खड़ा हुआ।




हुआ यूं कि जब मैं ठाकुर सभी के साथ रहने लगा तो वो राज जब भी शिकार के लिए जाते मुझे ऊंट पर पीछे बड़े प्यार बैठाते। जब शिकार करते तो मुझे बताते की कैसे शिकार और बंदूक का तालमेल बैठना जरूरी होता हैं। कुलमिलाकर उस समय मेरी अवस्था 14-15 थी जब मैं यह सिख गया कि राइफल से शिकार कैसे किया जाता हैं।
मैने 15 वर्ष की अवस्था मे पहला शिकार अपने गांव के पश्चिम के तरफ बने नाड़े अर्थात तालाब के पास किया  जिसका मार्गदर्शन ठाकुर श्रीमान बाग सिंह जी तंवर ने किया। कहते हैं कि जैसी संगत वैसा फल उनकी दृष्टि हमेशा मेरे साथ रही और आज भी मैं उनको प्रातः वंदन करता हूँ।




    आज जब मैं यह लिख रहा हूँ मेरी उम्र 85 वर्ष हैं चार बेटियो के साथ एक बेटा और दो पोतियों के साथ दो पोतों का हरा भरा परिवार और 80 - 90 बीघा जमीन और उसमें बना मकान। साथ ही जमीन को पानी देने के लिए नलकूप।
    कहा वो उजड़ा बचपन और कहा कुदरत का दिया एक खुशाल परिवार।
कुलमिलाकर ठाकुर श्रीमान बाग़ सिंह जी ने मेरे अंदर बैठे एक राइफल शूटर को तैयार कर दिया।
उसके बाद ठाकुर साहब ने मुझे राजस्थान आर.ए.सी में भर्ती करवा दिया। फिर मैं अपनी नॉकरी करने लगा।लगभग 14 वर्ष तक अर्थात 1951 से 1965 तक आर.ए. सी में रहा। उस समय 1958 मे आर.ए.सी की पांचो बटालियन में से मैने अवार्ड जीता।फिर मुझे आर.ए. सी से बी.एस.एफ में ले लिया गया। जहाँ मुझे B.S.F की नई खड़ी शूटिंग टीम में ले लिया गया। जो भी एक अच्छा किस्सा हैं मैं प्रतिवर्ष B.S.F चांदमारी में प्रथम होता रहा। जिसका फल मुझे B.S.F की टीम में जगह बना कर मिला। फिर 1968 में B.S.F की टीम पहली बार नेशनल गयी जो कि मद्रास में आयोजित हुआ था। जहाँ मैने एक गोल्ड और एक सिल्वर जीत था। फिर नेशनल कॉम्पिटिशन में मैं प्रतिवर्ष जाता रहा और हमेशा फर्स्ट या सेकंड होता रहा। 1986 तक नेशनल में मैं 73 मेडल जीत चुका था जो कि 1968 से 1986 के बीच का टाइम रहा। और समय पहले अपने हुनर की बिना कोई विशेष सन्मान के मैं सेवा निवृत्त हो गया। और आज मैं गांव में अपने परिवार के साथ सुखी पूर्वक अपना जीवन बिता रहा हूँ।

प्रातः वंदनीय
ठाकुर साहब श्रीमान बाग सिंह तंवर केलवा कला



परिवार में धर्मपत्नी शायर कंवर हैं। मेरे ससुराल झुंझनु जिले की फतेपुर तहसील के तेतरा गांव हैं। मेरी शादी 1962 में शेखावत परिवार होई। बेटे का नाम भिव सिंह राठौड़ और पोतो के नाम कुलदीप सिंह और गजेंद्र सिंह व पोतियों के नाम ओम कंवर (छैलू) और पूनम कंवर हैं। मेरी चार बेटियो के नाम बड़ी उचब कंवर,सुमित्रा कंवर,धापू कंवर,केमू कंवर हैं जो कि सभी की शादियां करदी जो अपने परिवारों के साथ खुशाली पूर्वक जीवन बिता रही हैं।
विशेष: दो बार ऐसिन गेम्स,जो की   कुलंमपुर और बैंकॉक(थाईलैंड)
में आयोजित हुआ।

ब्लॉग  लेखक : मोती सिंह राठौड़




                   गांव:   जोइन्तरा,
                   तहसील: बावड़ी
                    जिला: जोधपुर,राजस्थान
     संपर्क : 9665151996

Comments

  1. समय से पहले होना भी एक हानि हैं जो कि श्री नाथू सिंह राठौड़ जो कि नेशनल राइफल शूटर थे को पूरा सन्मान नही मिला।

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